श्रीकृष्ण से कितना कुछ छूटा !
पहले माँ छूटी , फिर पिता छूटे!
फिर जो नंद - यशोदा मिले , वे भी छूटे।
संगी - साथी छूटे..राधा भी छूटी।
गोकुल छूटा, फिर मथुरा छूटी।
श्रीकृष्ण से जीवन भर , कुछ न कुछ छूटता ही रहा!
नहीं छूटा तो देवत्व, मुस्कान और सकारात्मकता!श्रीकृष्ण दुःख नहीं, उत्सव के प्रतीक हैं!
सब कुछ छूटने पर भी, कैसे खुश रहा जा सकता है यह , ' श्री कृष्ण से अच्छा कोई नहीं सिखा सकता!
इसलिए हमेशा खुश रहें , सदा मुस्कुराते रहें..
:)SMILE PLEASE(:
Smile increase your face value.
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